हम तो जियेंगे शान से ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
हम तो जियेंगे शान सेगर्दन झुकाये से नहीं ।
कैसे कहें सच झूठ को
हम ये गज़ब करते नहीं ।
दावे तेरे थोथे हैं सब
लोग अब यकीं करते नहीं ।
राहों में तेरी बेवफा
अब हम कदम धरते नहीं ।
हम तो चलाते हैं कलम
शमशीर से डरते नहीं ।
कहते हैं जो इक बार हम
उस बात से फिरते नहीं ।
माना मुनासिब है मगर
फरियाद हम करते नहीं ।
1 टिप्पणी:
Bahut khoob👍
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