दोस्त भूले दोस्ती हम क्या करें (ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
दोस्त भूले दोस्ती हम क्या करेंबन गए सब मतलबी हम क्या करें ।
प्यार से देखा हमें जब आपने
ले गई दिल सादगी हम क्या करें ।
अब बताएं सब हुस्न वाले हमें
जब सताए आशिकी हम क्या करें ।
एक दिन हम ढूंढ ही लेते खुदा
खो गई है ज़िंदगी हम क्या करें ।
दिल हमारा लूट कर कल ले गईं
सब अदाएं आपकी हम क्या करें ।
प्यार उनको जब रकीबों से हुआ
फिर हमारी बेबसी हम क्या करें ।
आज कितना दूर देखो हो गया
आदमी से आदमी हम क्या करें ।
सब परेशां लग रहे इस शहर में
हम यहाँ पर अजनबी हम क्या करें ।
आज "तनहा" मार डालेगी तुम्हें
अब किसी की बेरुखी हम क्या करें ।
1 टिप्पणी:
आज के दौर का चित्र लिए अशआर👍
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