अगस्त 10, 2012

POST : 29 कैसे कैसे नसीब देखे हैं ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

कैसे कैसे नसीब देखे हैं  ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

कैसे कैसे नसीब देखे हैं
पैसे वाले गरीब देखे हैं ।

हैं फ़िदा खुद ही अपनी सूरत पर
हम ने चेहरे अजीब देखे हैं ।

दोस्तों की न बात कुछ पूछो
दोस्त अक्सर रकीब देखे हैं ।
 
ज़िंदगी  को तलाशने वाले
मौत ही के करीब देखे हैं ।

तोलते लोग जिनको दौलत से
ऐसे भी कम-नसीब देखे हैं ।

राह दुनिया को जो दिखाते हैं
हम ने विरले अदीब देखे हैं ।

खुद जलाते रहे जो घर "तनहा"
ऐसे कुछ बदनसीब देखे हैं ।   
 

 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Shandaar ghzl pese wale gareeb...Fida khud pr hi👌👍