कहीं न कह दें दिल की बात ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
कहीं न कह दें दिल की बातबन जाये महफ़िल की बात।
डूब गई अश्कों के
सागर में साहिल की बात।
मिलती नहीं ये मांगे से
मौत बड़ी मुश्किल की बात।
एक ज़माना कातिल है
किससे कहें कातिल की बात।
ज़हन में भूले भटकों के
उतर गई मंज़िल की बात।
कहीं न लब पर आ जाये
मदहोशी में दिल की बात।
पायल की छमछम में भी
होती है दर्दे दिल की बात।
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