इस दरजा एतबार क्यों ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
इस दरजा एतबार क्योंकहते हो बार बार क्यों।
कोई बताये किस तरह
ग़म का है इव्वास्तगार क्यों।
मुरझाये गुल कभी नहीं
उस को न इख्तियार क्यों।
जाने किसी के आने का
हम को है इंतज़ार क्यों।
पूछो न हमसे आज तुम
दिल का गया करार क्यों।
उनको सुना नई ग़ज़ल
"तनहा" है बेकरार क्यों।
1 टिप्पणी:
वाहः बहुत खूब
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