जीने की तमन्ना न मरने का इरादा है ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
जीने की तमन्ना न मरने का इरादा हैहाँ मुहब्बत में हद से गुज़रने का इरादा है ।
अब कैसे बचेंगे उन्हें चाहने वाले सब
उनका आज सजने -संवरने का इरादा है ।
लड़ना है दिलो जान से ठान लिया है अब
ज़ालिम के ज़ुल्म से न डरने का इरादा है ।
लिखनी दास्तां है लहू से अपने कोई
कहने का नहीं अब तो करने का इरादा है ।
बढ़ते ये कदम रोकने से न रुकेंगे अब
मंज़िल पे पहुंच के ठहरने का इरादा है ।
हम ने थाम ली है ये पतवार तुफानों में
"तनहा" हौंसलों से उतरने का इरादा है ।
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