अब सुना कोई कहानी फिर उसी अंदाज़ में ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
अब सुना कोई कहानी फिर उसी अंदाज़ मेंआज कैसे कह दिया सब कुछ यहां आगाज़ में।
आप कहना चाहते कुछ और थे महफ़िल में ,पर
बात शायद और कुछ आई नज़र आवाज़ में।
कह रहे थे आसमां के पार सारे जाएंगे
रह गई फिर क्यों कमी दुनिया तेरी परवाज़ में।
दे रहे अपनी कसम रखना छुपा कर बात को
क्यों नहीं रखते यकीं कुछ लोग अब हमराज़ में।
लोग कोई धुन नई सुनने को आये थे यहां
आपने लेकिन निकाली धुन वही फिर साज़ में।
देखते हम भी रहे हैं सब अदाएं आपकी
पर लुटा पाये नहीं अपना सभी कुछ नाज़ में।
तुम बता दो बात "तनहा" आज दिल की खोलकर
मत छिपाओ बात ऐसे ज़िंदगी की राज़ में।
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