अगस्त 19, 2012

POST : 48 जीवन राह ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

जीवन राह ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया 

खुद पे ही एतबार कर लो
ज़िंदगी का तुम दीदार कर लो ।

जो मंज़िल की चाह है तुम्हें
मुश्किलों से भी प्यार कर लो ।

बेहतर है ये किनारे बैठने से
डूब जाओ या कि पार कर लो ।

बदल सकते हो हवा का रुख
हौसला तुम एक बार कर लो ।

कौन अपना है कौन बेगाना
प्यार से मिले जो प्यार कर लो ।
  
 

 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

डूब जाओ या कि पार कर लो👌