जीवन राह ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
खुद पे ही एतबार कर लोज़िंदगी का तुम दीदार कर लो।
जो मंज़िल की चाह है तुम्हें
मुश्किलों से भी प्यार कर लो।
बेहतर है ये किनारे बैठने से
डूब जाओ या कि पार कर लो।
बदल सकते हो हवा का रुख
हौसला तुम एक बार कर लो।
कौन अपना है कौन बेगाना
प्यार से मिले जो प्यार कर लो।
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