मेरे ब्लॉग पर मेरी ग़ज़ल कविताएं नज़्म पंजीकरण आधीन कॉपी राइट मेरे नाम सुरक्षित हैं बिना अनुमति उपयोग करना अनुचित व अपराध होगा। मैं डॉ लोक सेतिया लिखना मेरे लिए ईबादत की तरह है। ग़ज़ल मेरी चाहत है कविता नज़्म मेरे एहसास हैं। कहानियां ज़िंदगी का फ़लसफ़ा हैं। व्यंग्य रचनाएं सामाजिक सरोकार की ज़रूरत है। मेरे आलेख मेरे विचार मेरी पहचान हैं। साहित्य की सभी विधाएं मुझे पूर्ण करती हैं किसी भी एक विधा से मेरा परिचय पूरा नहीं हो सकता है। व्यंग्य और ग़ज़ल दोनों मेरा हिस्सा हैं।
दिसंबर 27, 2021
समाज को किताबों से जोड़ना ( मेरा मकसद ) डॉ लोक सेतिया
दिसंबर 21, 2021
बुरा हूं मगर इतना बुरा नहीं ( ब्यान अर्ज़ है ) डॉ लोक सेतिया
बुरा हूं मगर इतना बुरा नहीं ( ब्यान अर्ज़ है ) डॉ लोक सेतिया
दिसंबर 17, 2021
किस को सुनाएं से सुन ज़माने तक ( कागज़ कलम स्याही पुस्तक का सफर ) डॉ लोक सेतिया
किस को सुनाएं से सुन ज़माने तक
( कागज़ कलम स्याही पुस्तक का सफर )
डॉ लोक सेतिया
दिसंबर 15, 2021
ग़ुलामी को बरकत समझने लगे ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
ग़ुलामी को बरकत समझने लगे ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
दिसंबर 14, 2021
हमारी मज़बूरी है लिखना ( कलम का सिपाही ) डॉ लोक सेतिया
मुश्किल चुप रहना आसां नहीं कहना ( उलझन ) डॉ लोक सेतिया
दिसंबर 07, 2021
तुम्हारे अश्क़ मोती हैं ( मेरा लेखन ) डॉ लोक सेतिया
तुम्हारे अश्क़ मोती हैं ( मेरा लेखन ) डॉ लोक सेतिया
मुझे चलना पसंद है ठहरना नहीं
जब भी मुझे निराशा और परेशानी ने घेरा तब मुझे इस से बाहर निकलने को संगीत और लेखन ने ही बचाया और मज़बूत होना सिखाया है। अपनी सभी समस्याओं परेशानियों का समाधान मुझे ग़ज़ल गीत किताब पढ़ने से हासिल हुआ है। इंसान हूं दुःख दर्द से घबराता भी रहा मगर जाने क्यों अपने ग़म भी मुझे अच्छे लगते रहे हैं ग़म से भागना नहीं चाहा ग़म से भी रिश्ता निभाया है। ग़म को मैंने दौलत समझ कर अपने पास छिपाकर रखा है हर किसी अपने ग़म बताये नहीं। इक कमज़ोरी है आंसू छलक आते हैं ज़रा सी बात पर हर जगह मुस्कुराना क्या ज़रूरी है कभी ऐसा हुआ कि हंसने की कोशिश में पलकें भीग जाती हैं। अपने आप को पहचानता हूं और अब तन्हाई अकेलापन मुझे अच्छा लगता है उन महफिलों से जिन में हर कोई अपने चेहरे पर सच्चाई भलेमानस की नकाब लगाए इस ताक में रहता है कि कब अवसर मिले और अपनी असलियत दिखला दे। ये दुनिया और उसकी रौनक मुझे अपनी नहीं लगती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात मुझे बचपन से दोस्ती की चाहत रही है। बहुत दोस्त बनाए हैं साथ दोस्तों से कम रहा है बस इक सच्चे दोस्त की तलाश रही है जो मुझे समझता भी और जैसा हूं वैसा अपनाता भी शायद कहीं है कोई कभी मिलेगा भरोसा है या सपना हो सकता है। ज़िंदगी ने जितना दिया बहुत है।
फ़लसफ़ा - ए - ज़िंदगी ( अफ़साना बयां करती ग़ज़ल और नज़्म )
( सभी ग़ज़ल से प्यार करने वाले दोस्तों और साहित्य पढ़ने में रुचि रखने वाले बंधुओं को जानकार ख़ुशी होगी कि मेरी पहली पुस्तक ग़ज़ल एवं नज़्म की 151 रचनाओं की आपको पढ़ने को उपलब्ध करवा दी जाएगी।
किताब की सिमित प्रतियां लागत मूल्य पर भेजी जा सकती हैं अथवा प्रकाशक से खरीद सकते है।
फोन - 9992040688
पर मुझसे बात कर मंगवा सकते हैं।
विश्वास है आपको पसंद आएंगी मेरी चुनिंदा रचनाएं शामिल हैं।
डॉ लोक सेतिया। )
दिसंबर 05, 2021
इक कलमकार की चिंता ( पाठक की तलाश ) डॉ लोक सेतिया
नहीं मालूम मुलाक़ात कैसे हो ( लिखा जिनके लिए जीवन भर )
इक कलमकार की चिंता ( पाठक की तलाश ) डॉ लोक सेतिया
दिसंबर 02, 2021
कांटो का गुलशन है ये ( सोशल मीडिया की बात ) डॉ लोक सेतिया
कांटो का गुलशन है ये ( सोशल मीडिया की बात ) डॉ लोक सेतिया
कोई समझेगा क्या राज़ ए गुलशन , जब तक उलझे न कांटों से दामन।
गुल तो गुल खार तक चुन लिए हैं , फिर भी खाली है गुलचीं का दामन।
फ़ना निज़ामी कानपुरी ( शायर )
नवंबर 30, 2021
साहित्य में आरक्षण ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
साहित्य में आरक्षण ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
नवंबर 29, 2021
परियों की रानी की डोली ( व्यंग्य-कथा ) डॉ लोक सेतिया
परियों की रानी की डोली ( व्यंग्य-कथा ) डॉ लोक सेतिया
नवंबर 25, 2021
दिल-औ दिमाग़ के जाले साफ़ कर ( आत्मचिंतन ) डॉ लोक सेतिया
दिल-औ दिमाग़ के जाले साफ़ कर ( आत्मचिंतन ) डॉ लोक सेतिया
नवंबर 23, 2021
धर्म ईश्वर धार्मिक स्थलों का रहस्य ( चिंतन-मनन ) डॉ लोक सेतिया
धर्म ईश्वर धार्मिक स्थलों का रहस्य ( चिंतन-मनन ) डॉ लोक सेतिया
नवंबर 19, 2021
मैं कतरा हो के भी तूफ़ां से जंग लेता हूं ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
मैं कतरा हो के भी तूफ़ां से जंग लेता हूं ( हास-परिहास )
डॉ लोक सेतिया
नवंबर 10, 2021
ज़िंदगी जीने का सलीका यही है ( गीता सिंह गौड़ --- केबीसी ) डॉ लोक सेतिया
ज़िंदगी जीने का सलीका यही है ( गीता सिंह गौड़ ) डॉ लोक सेतिया
नवंबर 07, 2021
राज़ खुला ज़िंदगी बिता कर ( व्यंग्य-कथा ) डॉ लोक सेतिया
राज़ खुला ज़िंदगी बिता कर ( व्यंग्य-कथा ) डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 27, 2021
दुरूपयोग करना सीखा है ( पागलपन ) डॉ लोक सेतिया
दुरूपयोग करना सीखा है ( पागलपन ) डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 22, 2021
अंधेरे दिन रौशन रात ( अनसुलझे सवालात ) डॉ लोक सेतिया
अंधेरे दिन रौशन रात ( अनसुलझे सवालात ) डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 16, 2021
हाथ जोड़कर कोरोना खड़ा ( अंतिम अध्याय ) डॉ लोक सेतिया
हाथ जोड़कर कोरोना खड़ा ( अंतिम अध्याय ) डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 13, 2021
खेल-तमाशा बना लिया मकसद { भटकते मुसाफ़िर } डॉ लोक सेतिया
खेल-तमाशा बना लिया मकसद { भटकते मुसाफ़िर } डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 11, 2021
झूठ के गुणगान का शोर है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
झूठ के गुणगान का शोर है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
झूठ को सच करे हुए हैं लोग , बेज़ुबां कुछ डरे हुए हैं लोग।
फिर वही सिलसिला हो गया , झूठ सच से बड़ा हो गया।
वो जो कहते थे हमको कि सच बोलिये , झूठ के साथ वो लोग खुद हो लिये।
सच कोई किसी को बताता नहीं , यह लोगों को वैसे भी भाता नहीं।
आई हमको न जीने की कोई अदा , हमने पाई है सच बोलने की सज़ा।
उसको सच बोलने की कोई सज़ा हो तजवीज़ , लोक राजा को वो कहता है निपट नंगा है।
झूठ यहां अनमोल है सच का न व्यौपार , सोना बन बिकता यहां पीतल बीच बाज़ार।
अक्तूबर 04, 2021
मर गया , खाते पर लिख दिया { सबक चाचा चाय वाला } डॉ लोक सेतिया
मर गया , खाते पर लिख दिया { सबक चाचा चाय वाला }
डॉ लोक सेतिया
बड़े लोग ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
बड़े लोग बड़े छोटे होते हैं
कहते हैं कुछ
समझ आता है और
आ मत जाना
इनकी बातों में
मतलब इनके बड़े खोटे होते हैं।
इन्हें पहचान लो
ठीक से आज
कल तुम्हें ये
नहीं पहचानेंगे
किधर जाएं ये
खबर क्या है
बिन पैंदे के ये लोटे होते हैं।
दुश्मनी से
बुरी दोस्ती इनकी
आ गए हैं
तो खुदा खैर करे
ये वो हैं जो
क़त्ल करने के बाद
कब्र पे आ के रोते होते हैं।