सब लिख चुके आगाज़ हम अंजाम लिखेंगे ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
सब लिख चुके आगाज़ हम अंजाम लिखेंगेअब ज़िंदगी को ज़िंदगी के नाम लिखेंगे।
जब तक पिलायेंगे सभी पीते ही रहेंगे
लिखने लगे जब हम मुहब्बत, जाम लिखेंगे।
पाई सज़ाएँ बेखता उनसे तो हमेशा
अब हम मगर उनके लिए ईनाम लिखेंगे।
उसको लिखेंगे ख़त कभी दिल खोल के हम भी
हम हो गये तेरे लिये बदनाम लिखेंगे।
साकी से पूछो हम हुए मदहोश नहीं थे
भर - भर पिलाये हैं उसी ने जाम लिखेंगे।
होगा सुनाने का नया अंदाज़ हमारा
कोई ग़ज़ल हम जब किसी के नाम लिखेंगे।
लिखने लगे जब सच तो लिखना छोड़ मत देना
"तनहा" लिखेंगे , और सुबहो-शाम लिखेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें