मेरे ब्लॉग पर मेरी ग़ज़ल कविताएं नज़्म पंजीकरण आधीन कॉपी राइट मेरे नाम सुरक्षित हैं बिना अनुमति उपयोग करना अनुचित व अपराध होगा। मैं डॉ लोक सेतिया लिखना मेरे लिए ईबादत की तरह है। ग़ज़ल मेरी चाहत है कविता नज़्म मेरे एहसास हैं। कहानियां ज़िंदगी का फ़लसफ़ा हैं। व्यंग्य रचनाएं सामाजिक सरोकार की ज़रूरत है। मेरे आलेख मेरे विचार मेरी पहचान हैं। साहित्य की सभी विधाएं मुझे पूर्ण करती हैं किसी भी एक विधा से मेरा परिचय पूरा नहीं हो सकता है। व्यंग्य और ग़ज़ल दोनों मेरा हिस्सा हैं।
जुलाई 26, 2024
हमको मिली सज़ाएं हर बार तेरे दर पे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया
जुलाई 24, 2024
खेल है नसीबों का ज़िंदगी ( अफ़साना ) डॉ लोक सेतिया
खेल है नसीबों का ज़िंदगी ( अफ़साना ) डॉ लोक सेतिया
जुलाई 17, 2024
क़ातिल ही मुंसिफ़ है ( न्याय दिवस ) डॉ लोक सेतिया
क़ातिल ही मुंसिफ़ है ( न्याय दिवस ) डॉ लोक सेतिया
मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा ( सुदर्शन फ़ाकिर )
इस वर्ष का 17 जुलाई अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस का थीम है फासलों को मिटाना , सांझेदारी बनाना ।
![World Day for International Justice 2020: अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस का क्या है महत्व और क्यो मनाते हैं इसे, जानिए](https://d3pc1xvrcw35tl.cloudfront.net/sm/images/1260x945/world-day-for-international-justice_202007174537.jpg)
जुलाई 16, 2024
ये दुनिया ये महफ़िल ( खाना - ख़ज़ाना ) डॉ लोक सेतिया
ये दुनिया ये महफ़िल ( खाना - ख़ज़ाना ) डॉ लोक सेतिया
सन्नाटा वहां हरसू फैला-सा नज़र आया ।
हम देखने वालों ने देखा यही हैरत से
अनजाना बना अपना , बैठा-सा नज़र आया ।
मुझ जैसे हज़ारों ही मिल जायेंगे दुनिया में
मुझको न कोई लेकिन , तेरा-सा नज़र आया ।
हमने न किसी से भी मंज़िल का पता पूछा
हर मोड़ ही मंज़िल का रस्ता-सा नज़र आया ।
हसरत सी लिये दिल में , हम उठके चले आये
साक़ी ही वहां हमको प्यासा-सा नज़र आया ।
![भयावह है अमीर गरीब के बीच बढ़ती खाई - Sarita Magazine](https://i0.wp.com/www.sarita.in/wp-content/uploads/2019/09/cover.jpg?fit=1024%2C680&ssl=1)
जुलाई 13, 2024
चश्मदीद गवाह क़त्ल का ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
चश्मदीद गवाह क़त्ल का ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
आंखों देखा हाल ( हास्य-व्यंग्य कविता ) डॉ लोक सेतिया
सुबह बन गई थी जब रातये है उस दिन की बात
सांच को आ गई थी आंच
दो और दो बन गए थे पांच।
कत्ल हुआ सरे बाज़ार
मौका ए वारदात से
पकड़ कातिलों को
कोतवाल ने
कर दिया चमत्कार।
तब शुरू हुआ
कानून का खेल
भेज दिया अदालत ने
सब मुजरिमों को सीधा जेल।
अगले ही दिन
कोतवाल को
मिला ऊपर से ऐसा संदेश
खुद उसने माँगा
अदालत से
मुजरिमों की रिहाई का आदेश।
कहा अदालत से
कोतवाल ने
हैं हम ही गाफ़िल
है कोई और ही कातिल।
किया अदालत ने
सोच विचार
नहीं कोतवाल का ऐतबार
खुद रंगे हाथ
उसी ने पकड़े कातिल
और बाकी रहा क्या हासिल।
तब पेश किया कोतवाल ने
कत्ल होने वाले का बयान
जिसमें तलवार को
लिखा गया था म्यान।
आया न जब
अदालत को यकीन
कोतवाल ने बदला
पैंतरा नंबर तीन।
खुद कत्ल होने वाले को ही
अदालत में लाया गया
और लाश से
फिर वही बयान दिलवाया गया।
मुझसे हो गई थी
गलत पहचान
तलवार नहीं हज़ूर
है ये म्यान
मैंने तो देखी ही नहीं कभी तलवार
यूँ कत्ल मेरा तो
होता है बार बार
कहने को आवाज़ है मेरा नाम
मगर आप ही बताएं
लाशों का बोलने से क्या काम।
हो गई अदालत भी लाचार
कर दिये बरी सब गुनहगार
हुआ वही फिर इक बार
कोतवाल का कातिलों से प्यार।
झूठ मनाता रहा जश्न
सच को कर के दफन
इंसाफ बेमौत मर गया
मिल सका न उसे कफन।
![बाबरी मस्जिद विध्वंस का आंखों देखा हाल - saw the condition of babri masjid demolition with my own eyes-mobile](https://static.punjabkesari.in/multimedia/2024_1image_06_13_37194782800.jpg)
जुलाई 12, 2024
बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी { हत्या हुई फिर भी ज़िंदा है } ( सरकारी फ़रमान ) डॉ लोक सेतिया
हत्या हुई फिर भी ज़िंदा है ( सरकारी फ़रमान ) डॉ लोक सेतिया
![देश में अब 25 जून को मनेगा संविधान हत्या दिवस, केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन - modi govt declares 25th june as samvidhan hatya diwas to honour sacrifices of people during](https://navbharattimes.indiatimes.com/thumb/111688700/samvidhan-hatya-diwas-111688700.jpg?imgsize=949226&width=380&height=214&resizemode=75)
जुलाई 11, 2024
झूठ ही अपनी पहचान है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
झूठ ही अपनी पहचान है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
![सैंया झूठों का बड़ा सरताज निकला Saiyan jhoothon - HD वीडियो सोंग - लता मंगेशकर - दो आँखें बारह हाथ](https://i.ytimg.com/vi/N51Bfy-otIE/maxresdefault.jpg)
जुलाई 10, 2024
दो किनारों की अनबन ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
दो किनारों की अनबन ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
![झारखंड: अवैध बालू खनन ने खोखली कर दी नए पुल की नींव, 13 करोड़ में बना ब्रिज नहीं झेल पाया Yaas - Jharkhand AajTak](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/photo_gallery/202105/bridge.jpg)
जुलाई 09, 2024
आज हमने छोड़ दिया ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
आज हमने छोड़ दिया ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
कौन सुनेगा ? किसको सुनायें ?
इसलिए चुप रहते हैं ,
हमसे अपने, रूठ न जाएँ
इसलिए चुप रहते हैं ।
मैं भी इक आइना था
सावन का महीना था ,
इसलिए चुप रहते हैं
इसलिए चुप रहते हैं ।
अपना जी भर आया है ,
हमे ख़ुशी ने रुलाया है ,
इसलिए चुप रहते हैं ,
इसलिए चुप रहते हैं ।
ख़ुशी की सेज सजाने को
घर में आग लगाने को ,
इसलिए चुप रहते हैं ।
बदल जाये अगर माली , चमन होता नहीं ख़ाली
बहारें फिर भी आती हैं , बहारें फिर भी आयेंगी ।
थकन कैसी घुटन कैसी , चल अपनी धुन में दीवाने
खिला ले फूल कांटों में , सजा ले अपने वीराने
हवाएं आग भड़काएं , फ़ज़ाएं ज़हर बरसाएं
बहारें फिर भी आती हैं , बहारें फिर भी आयेंगी ।
अंधेरे क्या उजाले क्या , ना ये अपने ना वो अपने
तेरे काम आयेंगे प्यारे , तेरे अरमां तेरे सपने
ज़माना तुझ से हो बरहम , ना आए राहबर मौसम
बहारें फिर भी आती हैं , बहारें फिर भी आयेंगी ।
जुलाई 08, 2024
की इनायत ठुकरा कर मुझे ( परायापन ) डॉ लोक सेतिया
की इनायत ठुकरा कर मुझे ( परायापन ) डॉ लोक सेतिया
कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ पुरानी डायरी से प्रस्तुत हैं :-
![Accept as it is...](https://media.nojoto.com/content/media/27674642/2023/02/feed/64200033facade7f02e911f2ad26910a/64200033facade7f02e911f2ad26910a_default.jpg)
जुलाई 07, 2024
पत्थर के इंसान सोने-चांदी के परिधान ( मेरा देश महान ) डॉ लोक सेतिया
पत्थर के इंसान सोने-चांदी के परिधान ( मेरा देश महान ) डॉ लोक सेतिया
रहीम और गंगभाट का संवाद :-
ज्यों ज्यों कर ऊंचों करें त्यों त्यों नीचो नैन '।
लोग भरम मो पे करें या ते नीचे नैन ' ।
जुलाई 05, 2024
समझा नहीं जाना नहीं ईश्वर धर्म ( अज्ञानता ) डॉ लोक सेतिया
समझा नहीं जाना नहीं ईश्वर धर्म ( अज्ञानता ) डॉ लोक सेतिया
![दुनिया मेरे आगे: केंद्र और परिधि, सीमित दृष्टि में नहीं है जीवन का आनंद, खुद को बड़ा बनाकर सोच के बंधन से मुक्त होना जरूरी | Jansatta](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/04/Peace-mind.jpg)
जुलाई 04, 2024
निकले थे किधर जाने को पहुंचे कहां ( चीख-पुकार ) डॉ लोक सेतिया
निकले थे किधर जाने को पहुंचे कहां ( चीख-पुकार ) डॉ लोक सेतिया
( तुझे भगवान बनाया हम भक्तों ने , इक भजन सब से अलग है )
भगवन बनकर तू अभिमान ना कर ,
तुझे भगवान बनाया हम भक्तों ने ।
पत्थर से तराशी खुद मूरत फिर उसे ,
मंदिर में है सजाया हम भक्तों ने ।
तूने चाहे भूखा भी रखा हमको तब भी ,
तुझे पकवान चढ़ाया हम भक्तों ने ।
फूलों से सजाया आसन भी हमने ही ,
तुझको भी है सजाया हम भक्तों ने ।
सुबह और शाम आरती उतारी है बस ,
इक तुझी को मनाया हम भक्तों ने ।
सुख हो दुःख हो हर इक क्षण क्षण में ,
घर तुझको है बुलाया हम भक्तों ने ।
जिस हाल में भी रखा है भगवन तूने ,
सर को है झुकाया हम भक्तों ने ।
दुनिया को बनाया है जिसने कभी भी ,
खुद उसी के है बनाया हम भक्तों ने ।
जुलाई 03, 2024
उजाला है बाहर भीतर अंधेरा ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया
उजाला है बाहर भीतर अंधेरा ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया
एहसास ( कविता ) 1973 की पुरानी डायरी से फिर से याद आई है ।
![कोई उम्मीद बर नहीं आती - ग़ालिब](https://eps-blogs.s3.ap-south-1.amazonaws.com/prod/eps-blogs/1624692680.webp)
जुलाई 02, 2024
ख़ामोश रहो हसरत है उनकी ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
ख़ामोश रहो हसरत है उनकी ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
सरकार है बेकार है लाचार है ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
सरकार है , बेकार है , लाचार हैसुनती नहीं जनता की हाहाकार है ।
फुर्सत नहीं समझें हमारी बात को
कहने को पर उनका खुला दरबार है ।
रहजन बना बैठा है रहबर आजकल
सब की दवा करता जो खुद बीमार है ।
जो कुछ नहीं देते कभी हैं देश को
अपने लिए सब कुछ उन्हें दरकार है ।
इंसानियत की बात करना छोड़ दो
महंगा बड़ा सत्ता से करना प्यार है ।
हैवानियत को ख़त्म करना आज है
इस बात से क्या आपको इनकार है ।
ईमान बेचा जा रहा कैसे यहां
देखो लगा कैसा यहां बाज़ार है ।
है पास फिर भी दूर रहता है सदा
मुझको मिला ऐसा मेरा दिलदार है ।
अपना नहीं था ,कौन था देखा जिसे
"तनहा" यहां अब कौन किसका यार है ।
![जो मिल गया वो अपना है और जो टूट गया वह सपना है।~ Heart Touching Motivational Video ~"ज्ञानहोनाचाहिए"](https://i.ytimg.com/vi/0RE6ghnlxfw/maxresdefault.jpg)
जुलाई 01, 2024
लिखने को अल्फ़ाज़ जज़्बात अंदाज़ ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया
लिखने को अल्फ़ाज़ जज़्बात अंदाज़ ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया
कहानी हो ग़ज़ल हो बात रह जाती अधूरी है ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
कहानी हो ग़ज़ल हो बात रह जाती अधूरी हैकरें क्या ज़िंदगी की बात कहना भी ज़रूरी है ।
मिले हैं आज हम ऐसे नहीं बिछुड़े कभी जैसे
सुहानी शब मुहब्बत की हुई बरसात पूरी है ।
मिले फुर्सत चले जाना , कभी उनको बुला लेना
नहीं घर दोस्तों के दूर , कुछ क़दमों की दूरी है ।
बुरी आदत रही अपनी सभी कुछ सच बता देना
तुम्हें भाती हमेशा से किसी की जी-हज़ूरी है ।
रहा भूखा नहीं जब तक कभी ईमान को बेचा
लगा बिकने उसी के पास हलवा और पूरी है ।
जिन्हें पाला कभी माँ ने , लगाते रोज़ हैं ठोकर
इन्हीं बच्चों को बचपन में खिलाई रोज़ चूरी है ।
नहीं काली कमाई कर सके ' तनहा ' कभी लेकिन
कमाते प्यार की दौलत , न काली है न भूरी है ।
![जीवन की सबसे बड़ी कमाई है ज्ञान का पन्ना, किताबें दिखाती हैं सही राह | Jansatta](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/book.jpg?w=1024)
जून 29, 2024
नियम स्वीकार , शर्तें नामंज़ूर ( नज़रिया ) डॉ लोक सेतिया
नियम स्वीकार , शर्तें नामंज़ूर ( नज़रिया ) डॉ लोक सेतिया
![नियम एवं शर्तें - इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (IAMD)](https://iamd.in/wp-content/uploads/2023/11/Terms-and-Conditions.jpeg)
जून 28, 2024
चलती का नाम गाड़ी ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
चलती का नाम गाड़ी ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
![तू किसी रेल-सी गुज़रती है, मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ…दुष्यंत कुमार – पवन Belala Says❣](https://pawanbelalasays.wordpress.com/wp-content/uploads/2017/01/img_20170107_161044.jpg?w=1200)
जून 27, 2024
घायल लोकतंत्र की चिंता ( खरी-खरी ) डॉ लोक सेतिया
घायल लोकतंत्र की चिंता ( खरी-खरी ) डॉ लोक सेतिया
चीथड़े में हूँ भले पर हिंदुस्तान हूँ ( नज़्म ) दंडपानी नाहक
कहते हैं देश का मान सम्मान हूँ
मैं अन्नदाता हूँ गरीब किसान हूँ ।
मेरी फटेहाली का सबब कोई हो
चीथड़े में हूँ भले पर हिंदुस्तान हूँ ।
ये नया सूरज पहले मुझे खायेगा
क्षितिज तक फैला जो आसमान हूँ ।
मेरी स्थिति में परिवर्तन क्यों होगा
रहनुमां अंधे मेरे और मैं बेज़ुबान हूँ ।
इज़्ज़त की मौत तो दे ऐ मुल्क मेरे
मैं सदियों से तेरा जो मेहरबान हूँ ।