मेरे ब्लॉग पर मेरी ग़ज़ल कविताएं नज़्म पंजीकरण आधीन कॉपी राइट मेरे नाम सुरक्षित हैं बिना अनुमति उपयोग करना अनुचित व अपराध होगा। मैं डॉ लोक सेतिया लिखना मेरे लिए ईबादत की तरह है। ग़ज़ल मेरी चाहत है कविता नज़्म मेरे एहसास हैं। कहानियां ज़िंदगी का फ़लसफ़ा हैं। व्यंग्य रचनाएं सामाजिक सरोकार की ज़रूरत है। मेरे आलेख मेरे विचार मेरी पहचान हैं। साहित्य की सभी विधाएं मुझे पूर्ण करती हैं किसी भी एक विधा से मेरा परिचय पूरा नहीं हो सकता है। व्यंग्य और ग़ज़ल दोनों मेरा हिस्सा हैं।
अक्तूबर 27, 2021
दुरूपयोग करना सीखा है ( पागलपन ) डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 22, 2021
अंधेरे दिन रौशन रात ( अनसुलझे सवालात ) डॉ लोक सेतिया
अंधेरे दिन रौशन रात ( अनसुलझे सवालात ) डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 16, 2021
हाथ जोड़कर कोरोना खड़ा ( अंतिम अध्याय ) डॉ लोक सेतिया
हाथ जोड़कर कोरोना खड़ा ( अंतिम अध्याय ) डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 13, 2021
खेल-तमाशा बना लिया मकसद { भटकते मुसाफ़िर } डॉ लोक सेतिया
खेल-तमाशा बना लिया मकसद { भटकते मुसाफ़िर } डॉ लोक सेतिया
अक्तूबर 11, 2021
झूठ के गुणगान का शोर है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
झूठ के गुणगान का शोर है ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
झूठ को सच करे हुए हैं लोग , बेज़ुबां कुछ डरे हुए हैं लोग।
फिर वही सिलसिला हो गया , झूठ सच से बड़ा हो गया।
वो जो कहते थे हमको कि सच बोलिये , झूठ के साथ वो लोग खुद हो लिये।
सच कोई किसी को बताता नहीं , यह लोगों को वैसे भी भाता नहीं।
आई हमको न जीने की कोई अदा , हमने पाई है सच बोलने की सज़ा।
उसको सच बोलने की कोई सज़ा हो तजवीज़ , लोक राजा को वो कहता है निपट नंगा है।
झूठ यहां अनमोल है सच का न व्यौपार , सोना बन बिकता यहां पीतल बीच बाज़ार।
अक्तूबर 04, 2021
मर गया , खाते पर लिख दिया { सबक चाचा चाय वाला } डॉ लोक सेतिया
मर गया , खाते पर लिख दिया { सबक चाचा चाय वाला }
डॉ लोक सेतिया
बड़े लोग ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
बड़े लोग बड़े छोटे होते हैं
कहते हैं कुछ
समझ आता है और
आ मत जाना
इनकी बातों में
मतलब इनके बड़े खोटे होते हैं।
इन्हें पहचान लो
ठीक से आज
कल तुम्हें ये
नहीं पहचानेंगे
किधर जाएं ये
खबर क्या है
बिन पैंदे के ये लोटे होते हैं।
दुश्मनी से
बुरी दोस्ती इनकी
आ गए हैं
तो खुदा खैर करे
ये वो हैं जो
क़त्ल करने के बाद
कब्र पे आ के रोते होते हैं।