देश के वर्तमान हालात पर वक़्त के दोहे - डॉ लोक सेतिया
नतमस्तक हो मांगता मालिक उस से भीखशासक बन कर दे रहा सेवक देखो सीख ।
मचा हुआ है हर तरफ लोकतंत्र का शोर
कोतवाल करबद्ध है डांट रहा अब चोर ।
तड़प रहे हैं देश के जिस से सारे लोग
लगा प्रशासन को यहाँ भ्रष्टाचारी रोग ।
दुहराते इतिहास की वही पुरानी भूल
खाना चाहें आम और बोते रहे बबूल ।
झूठ यहाँ अनमोल है सच का ना व्योपार
सोना बन बिकता यहाँ पीतल बीच बाज़ार ।
नेता आज़माते अब गठबंधन का योग
देखो मंत्री बन गए कैसे कैसे लोग ।
चमत्कार का आजकल अदभुत है आधार
देखी हांडी काठ की चढ़ती बारम्बार ।
आगे कितना बढ़ गया अब देखो इन्सान
दो पैसे में बेचता यह अपना ईमान।
अंधे - बहरे शहर में ये बातें बेमोल
कौन सुनेगा अब यहां तनहा तेरे बोल ।
1 टिप्पणी:
बढ़िया धारदार दोहे👍
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