दिल में आता है सतायें उनको ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
दिल में आता है सताएं उनकोबात ये कैसे बताएं उनको ।
एक मुद्दत हुई दीदार किये
किस बहाने से बुलाएं उनको ।
वो तो हर बात पे हंस देते हैं
कभी रूठें तो मनाएं उनको ।
ये सितम हमसे न होगा हर्गिज़
कि शबे हिज्र रुलाएं उनको ।
हमने पूछा था सवाल उनसे कभी
याद वो कैसे दिलाएं उनको ।
खुद ग़ज़ल हैं वो हमारे दिल की
क्या भला और सुनाएं उनको ।
चाह दिल में है अभी तक "तनहा"
कस के सीने से लगाएं उनको ।
1 टिप्पणी:
Wahh kis bahaane bulae unhe
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