अगस्त 19, 2012

POST : 56 अब हमें दिल की बात कहने दो ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

अब हमें दिल की बात कहने दो ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया 

अब हमें दिल की बात कहने दो
हो जो मुमकिन तो अश्क बहने दो ।

सब चले जाएंगे कभी न कभी
कोई मेहमान अभी तो रहने दो ।

वक़्त इसका इलाज कर देगा
दिल को अब तो ये दर्द सहने दो ।

ख़त्म कर दो खामोशियों को आज
कहना है जो लबों को कहने दो ।

रोक पाई न इश्क को दुनिया
ये तो दरिया है इसको बहने दो ।

देखो खुद बन के तुम तमाशाई
हिलती दीवार घर की ढहने दो ।
 

 

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