अब हमें दिल की बात कहने दो ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
अब हमें दिल की बात कहने दोहो जो मुमकिन तो अश्क बहने दो।
सब चले जाएंगे कभी न कभी
कोई मेहमान अभी तो रहने दो।
वक़्त इसका इलाज कर देगा
दिल को अब तो ये दर्द सहने दो।
ख़त्म कर दो खामोशियों को आज
कहना है जो लबों को कहने दो।
रोक पाई न इश्क को दुनिया
ये तो दरिया है इसको बहने दो।
देखो खुद बन के तुम तमाशाई
हिलती दीवार घर की ढहने दो।
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