हल तलाशें सभी सवालों का ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
हल तलाशें सभी सवालों काहै यही रास्ता उजालों का।
तख़्त वाले ज़रा संभल जायें
काफिला चल पड़ा मशालों का।
फूल भेजे हैं खुद रकीबों को
दे दिया है जवाब चालों का।
प्यास बुझती नहीं कभी उनकी
दर्द समझो कभी तो प्यालों का।
ख्वाब हम देखते रहे शब भर
मखमली से किसी के बालों का।
बेच डालें न देश को इक दिन
कुछ भरोसा नहीं दलालों का।
राज़ दिल के सभी खुले "तनहा"
कुछ नहीं काम दिल पे तालों का।
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