याद तुम्हें करता है कोई ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
याद तुम्हें करता है कोई
जीते जी मरता है कोई।लफ्ज़े-मुहब्बत अपनी जुबां पर
लाने से डरता है कोई।
दुनिया में इक वो ही हसीं है
इस का दम भरता है कोई।
सूखे फूल चढ़ा कर कैसी
ये पूजा करता है कोई।
खुद से तन्हाई में बातें
दीवाना करता है कोई।
वादा करके भी वो न आया
यूँ भी ज़फा करता है कोई।
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