शिकवा तकदीर का करें कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
शिकवा तकदीर का करें कैसेहो खफा मौत तो मरें कैसे ।
बागबां ही अगर उन्हें मसले
फूल फिर आरज़ू करें कैसे ।
ज़ख्म दे कर हमें वो भूल गये
ज़ख्म दिल के ये अब भरें कैसे ।
हमको खुद पर ही जब यकीन नहीं
फिर यकीं गैर का करें कैसे ।
हो के मज़बूर ज़ुल्म सहते हैं
बेजुबां ज़िक्र भी करें कैसे ।
भूल जायें तुम्हें कहो क्यों कर
खुद से खुद को जुदा करें कैसे ।
रहनुमा ही जो हमको भटकाए
सूए - मंजिल कदम धरें कैसे ।
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