न आयें अगर वो करें क्या बताओ ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
न आयें अगर वो , करें क्या बताओवो आयें , बहाना कुछ ऐसा बनाओ।
कशिश उनके दिल में भी पैदा करो तुम
उन्हें , वरना तुम , कर के कोशिश भुलाओ।
मुहब्बत कभी इस तरह भी हुई है
बुलायें तुम्हें पास तुम दूर जाओ।
उसे सिज्दा कर के हुए हम तो काफ़िर
अगर हो सके उस खुदा को मनाओ।
जो उम्मीद टूटी तो फिर होगी मुश्किल
न यूँ दिल को झूठे दिलासे दिलाओ।
जगह दो न दो अपने दिल में हमें तुम
बस इक बार हमसे नज़र तो मिलाओ।
वो अनजान बनते हैं सब जान कर भी
उन्हें हाल-ए-दिल तुम न "तनहा" सुनाओ।
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