मुश्किलों का नाम है ये ज़िंदगी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
मुश्किलों का नाम है ये ज़िंदगीदर्द का इक जाम है ये ज़िंदगी।
याद रहता है हमें जो उम्र भर
मौत का पैगाम है ये ज़िंदगी।
मुस्कुराती सुबह आती है मगर
फीकी फीकी शाम है ये ज़िंदगी।
है कभी फूलों सी कांटों सी कभी
नित नया अंजाम है ये ज़िंदगी।
जानते ये राज़ "तनहा" काश हम
इक बड़ा ईनाम है ये ज़िंदगी।
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