वो दर्द कहानी बन गया ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
वो दर्द कहानी बन गयाइक याद पुरानी बन गया।
पत्र जो वापस मिला मुझे
वो उसकी निशानी बन गया।
उसकी महफ़िल में जाना ही
मेरी नादानी बन गया।
लबों तक बात आ न सकी
पलकों का पानी बन गया।
उनका पूछना हाल मेरा
इक मेहरबानी बन गया।
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