सब से पहले आपकी बारी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
सब से पहले आप की बारीहम न लिखेंगे राग दरबारी ।
और ही कुछ है आपका रुतबा
अपनी तो है बेकसों से यारी ।
लोगों के इल्ज़ाम हैं झूठे
आंकड़े कहते हैं सरकारी ।
फूल सजे हैं गुलदस्तों में
किन्तु उदास चमन की क्यारी ।
होते सच , काश आपके दावे
देखतीं सच खुद नज़रें हमारी ।
उनको मुबारिक ख्वाबे जन्नत
भाड़ में जाये जनता सारी ।
सब को है लाज़िम हक़ जीने का
सुख सुविधा के सब अधिकारी ।
माना आज न सुनता कोई
गूंजेगी कल आवाज़ हमारी ।
2 टिप्पणियां:
Nice one
Sukh suvidha...👌👍 Hm na likhenge raag darbari👌
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