वक़्त के साथ जो चलते हैं संवर जाते हैं ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
वक़्त के साथ जो चलते हैं संवर जाते हैंजो पिछड़ जाते हैं वो लोग बिखर जाते हैं ।
जिनको मिलता ही नहीं कोई जीने का सबब
मौत से पहले ही अफ़सोस वो मर जाते हैं ।
मुश्किलों को कभी आसान नहीं कर सकते
उलझनों से , वो सभी लोग , जो डर जाते हैं ।
जो नहीं मिलता कभी जा के किनारों पे हमें
वो उन्हें मिलता है जो बीच भंवर जाते हैं ।
हम समझते हैं जिन्हें अपना वो गैरों की तरह
पेश आते हैं तो हम जीते जी मर जाते हैं ।
गैर अच्छे जो मुसीबत में हमारी आकर
दोस्तों जैसा कोई काम तो कर जाते हैं ।
आएगा कोई हमारा भी मसीहा बन कर
आस में, उम्र तो क्या , युग भी गुज़र जाते हैं ।
1 टिप्पणी:
बढिया मतले...अफसोस मर् जाते हैं👌👌👍👍
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