अपनी मज़बूरी बतायें कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
अपनी मज़बूरी बतायें कैसेज़ख्म दिल के हैं दिखायें कैसे।
आशियाने में हमें रहना है
अपना घर खुद ही जलायें कैसे।
छोड़ आये हम जिसे यूँ ही कभी
अब उसी घर खुद ही जायें कैसे।
एक मुर्दा जिस्म हैं अब हम तो
अब दवा खायें तो खायें कैसे।
नाम जिसका ख़ामोशी रखना है
दास्तां सब को सुनायें कैसे।
दर्द दे कर भूल जाता हो जो
उस सितमगर को बुलायें कैसे।
जब नहीं बाकी रहा ताल्लुक ही
बोझ यादों का उठायें कैसे।
जो सुनानी हो उसी को "तनहा"
ग़ज़ल महफ़िल में सुनायें कैसे।
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