अक्टूबर 26, 2025

POST : 2034 भटकती रहेगी रूह उसकी ( व्यंग्य - कथा ) डॉ लोक सेतिया

    भटकती रहेगी रूह उसकी ( व्यंग्य - कथा ) डॉ लोक सेतिया  

मुझसे पूछती है उसकी आत्मा किसलिए उसकी मौत की खबर सभी को बताई मैंने । क्या बताऊं मैं भी हैरान हूं सोशल मीडिया पर हर दिन कितनी ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती हैं , हर ऐसी खबर पर तमाम लोग लिखते हैं दुःखद है । उसकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं संवेदनाएं जताते हैं , ईमानदारी की मौत की खबर पर किसी ने इक शब्द भी लिखना आवश्यक नहीं समझा । ईमानदारी की आत्मा भटका करेगी आखिर कब उसकी खातिर कोई प्रार्थना भी करेगा शांति के लिए । मुमकिन है आजकल लोग जानते ही नहीं हों की उनकी दुनिया में कभी ईमानदारी भी हुआ करती थी जिस को धन दौलत नाम शोहरत सभी से अधिक महत्व दिया जाता था । मालूम नहीं कब दुनिया का ईमानदारी से रिश्ता इस हद तक टूट गया कि किसी को किसी की भी ईमानदारी पर यकीन ही नहीं रहा । आधुनिक समाज में माना जाता है कि ईमानदार कोई होता ही नहीं जिस को बेईमानी चोरी हेरा फेरी का अवसर ही नहीं मिलता बस उसकी बदनसीबी है ईमानदारी से जीना । जैसे कहते हैं मज़बूरी का नाम महात्मा गांधी है उसी तरह से ईमानदार होना किसी की चाहत नहीं हो सकता । ईमानदारी का स्वभाव ही कुछ ऐसा हुआ करता था कि उसको किसी ने भी अपना समझा ही नहीं क्योंकि जब लोग ईमानदार हुआ करते थे तब दोस्ती दुश्मनी नहीं करते थे जो सही उसकी तरफ खड़े रहते थे । वास्तव में ईमानदारी ने कभी किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ा कभी लेकिन दुनिया को जो चाहिए उसको किसी भी पाना हासिल नहीं हो तो छीन लेना तक पसंद था उनकी राह में हमेशा किसी की ईमानदारी रुकावट बनकर खड़ी रहती थी । ईमानदारी सभी को अच्छी लगती थी लेकिन खुद को छोड़कर बाकी सभी में ईमानदारी देखना चाहते थे । ईमानदारी को अपने घर आंगन में तो दूर अपने अंतर्मन तक में कोई जगह नहीं देना चाहता था , ईमानदारी अकेली अकेलेपन का शिकार हो कर भी ज़िंदा रहती रही जब तक संभव हुआ । ईमानदारी ने कभी घबरा कर ख़ुदकुशी नहीं की जैसे कुछ लोग करते रहते हैं । 
 
दार्शनिक समझाते हैं बहुत बातें काफी कुछ बेहद कीमती हुआ करते थे जिनको कोई खरीद ही नहीं सकता था सभी कुछ चुकाकर भी मोल अदा नहीं होता था । सोना चांदी हीरे मोती तमाम रत्न जवाहरात का ढेर लगा कर भी मिलती नहीं थी ईमानदार की ईमानदारी । ईमानदार को क़त्ल करने पर भी ईमानदारी की मौत नहीं होती थी अमर बनकर सामने अडिग खड़ी रहती थी ईमानदारी । आप ने कभी उसको जाना नहीं ठीक से पहचाना नहीं किसी दिन झूठ फरेब जालसाज़ी की अपनी दुनिया से तंग आकर उसकी याद आएगी उसे इधर उधर तलाश करोगे उसकी तस्वीर बनाओगे सीने से लगाओगे , उसे नहीं पाकर बहुत पछताओगे । सरकार ने कहीं उसकी याद में इक स्मारक बनवाया है जाओगे उस पर फूल चढ़ाओगे कोई शमां जलाओगे आंसू बहाओगे । ईमानदारी आपकी बूढ़ी नानी दादी थी जिस ने आपके गोदी में खिलाया था , अच्छे सच्चे बनने का सबक उसीने सिखलाया था जो कभी किसी को समझ नहीं आया था । जिस ने आपका बचपन खुशहाल बनाया आपने बड़े होते उसको भुलाया कभी एहसान का बदला नहीं चुकाया । बाप मां दादा का क़र्ज़ याद है बहुत बकाया है जिस को याद रखना था जानकर भुलाया था , ईमानदारी हम सभी पर कितना बड़ा क़र्ज़ छोड़ गई है कभी चुकता नहीं कर पाएंगे जीवन भर मौज उड़ाएंगे , एहसान फरमोश कहलाएंगे ।  माना उसका हमसे नहीं खून वाला रिश्ता नाता था लेकिन बगैर उसके कभी किसी को जीने का ढंग नहीं आता था , हमने जीने का सलीका भुलाया है सब खोया कुछ भी नहीं हाथ आया है । 
 
शायद कोई बूढा जोगी मिल जाये किसी दिन सुनाये उसकी कहानी , ईमानदारी नाम की हुआ करती थी इस देश की बड़ी खूबसूरत इक रानी । उसको किसी की नज़र लग गई थी उसने जिस को भी जन्म दिया उसकी हर संतान असमय ही मर गई थी । किसी ज़ालिम शाहंशाह ने उसको कैद कर लिया था बंद तहखाने में उसकी सांसों की आवाज़ गूंजती रहती थी लेकिन कोई उसको रिहा नहीं करवा पाया था । देश का शासक बदलता रहा शासन का तौर तरीका बदलता रहा लेकिन किसी भी बेरहम शासक प्रशासक को उस पर रत्ती भर भी तरस नहीं आया था सभी ने उसका शोषण किया सितम पर सितम ढाया था । सभी को सपने में डराता था जो वो कुछ और नहीं ईमानदारी का कोई साया था । लोकतंत्र ने जिस को सत्ता पर बिठाया था उसी ने लोकतंत्र का लहू बहाया था , सत्ता ने हैवान सभी को बनाया था ।  ईमानदारी कौन थी कोई नहीं जानता हिंदू थी सिख थी मुसलमान थी ईसाई थी , उसने सभी धर्मों की रीत निभाई थी फिर भी अजनबी रहती शौदाई थी । किसी ने उसको चाहा न पाला पोसा न ही संभाला इक ऊपरवाला ही था उसका रखवाला जिस दिन उसकी अर्थी गई थी उठाई कोई भी आंख नहीं उसकी खातिर भर आई । उसकी आत्मा भटकती रहती है सबक पढ़ना ईमानदारी का सिर्फ इतना कहती है , लोग जाने क्यों इस बात से घबराते हैं रोज़ झूठी कसमें खाकर याद रखते हैं , ईमानदारी से बचकर रहना है बेईमानी हर शख़्स का कोई गहना है ।  
 
 मरने के बाद यहां भटकती है आत्मा, यमलोक पहुंचने में लगता है इतना समय
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Sahi baat👍👌...तब दोस्ती दुश्मनी नही। जो सही उसकी और खड़ा होना👍👌