मां के आंसू ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
कौन समझेगा तेरी उदासीतेरा यहाँ कोई नहीं है
उलझनें हैं साथ तेरे
कैसे उन्हें सुलझा सकोगी ।
ज़िंदगी दी जिन्हें तूने
वो भी न हो सके जब तेरे
बेरहम दुनिया को तुम कैसे
अपना बना सकोगी ।
सीने में अपने दर्द सभी
कब तलक छिपा सकोगी
तुम्हें किस बात ने रुलाया आज
मां
तुम कैसे बता सकोगी ।
2 टिप्पणियां:
Aapne Har maa ke dil ki baat ko itne ache se poem Mai utara hai aapka tah did se thanks Dr. Sahib
मां पर अच्छी कविता👍
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