मिरा दिल वो बातें भुलाने लगा है ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
मिरा दिल वो बातें भुलाने लगा हैसुकूं सा मुझे अब तो आने लगा है।
कोई फूल तन्हा ज़रा देर खिलकर
बहारों में मुरझाया जाने लगा है।
उसे भूल जाऊं ये कसमें दिलाकर
गया ,जो वो फिर याद आने लगा है।
ख्यालों में ,ख़्वाबों में रह-रह के हमको
तुम्हारा तस्व्वुर सताने लगा है।
कभी हमने-तुमने जो गाया था मिलकर
वही गीत दिल गुनगुनाने लगा है।
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