नेपथ्य ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
किसी लेखक नेभूख से तड़पते हुए
दरिद्रता भरे
जीवन पर लिखी थी
जो कहानी।
तुम कर रहे हो
अभिनय
उस कहानी के
नायक की भूमिका का।
जो दर्द भरे बोल
निकले थे
एक खाली पेट से
बोल रहे हो तुम
उन बोलों को
भरपेट मनपसंद भोजन खा कर।
और चाहते हो
करना कल्पना उस नायक के ,
दर्द के एहसास की।
चाहे कर लो
कितना भी जतन
ला नहीं पाओगे वो आंसू
जो स्वता ही निकल आते हैं ,
हर गरीब के बेबसी में।
नहीं मिल सकते कहीं से
बिकते नहीं हैं
दुनिया के बाज़ार में।
तुम बेच सकते हो बार बार
झूठे आंसू दिखावे के
है कमाल का अभिनय तुम्हारा
महान कलाकार हो तुम।
आवाज़ तुम्हारी रुलाती है
भाती है दर्शकों को
मिल जायेंगी तुम्हें
तालियाँ दर्शकों की
और ढेर सारी दौलत भी।
मगर
कहानी का लेखक
कहानी के नायक की तरह
जीता रहेगा गरीबी का
दुःख भरा जीवन हमेशा।
उसकी कहानी से हो नहीं पायेगा
न्याय कभी भी।
1 टिप्पणी:
Wahh... अदाकार रीयल लाइफ के किरदार की तड़प महसूस नही कर सकता👍
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