अक्टूबर 13, 2012

POST : 175 आज हैं अपराधी बनेगें कल नेता ( व्यंग्य कविता ) डॉ लोक सेतिया

आज हैं अपराधी बनेंगे कल नेता ( व्यंग्य कविता ) डॉ लोक सेतिया 

हर बात को देखने का होता है
सबका अपना अपना नज़रिया
किसी को कुछ भी लगे
हमको तो
भाता है अपना सांवरिया ।

किसलिए हो रहे हैं
इन अपराधियों को देख कर आप हैरान
आने वाले दिनों में यही
बढ़ाएंगे देश की देखना शान ।

अगर नए नए अपराध नहीं होंगे
अपराधी न होंगे
तो मिलेंगे कैसे आपको भविष्य के
संसद और विधायक ।

शासन करने
राज करने के लिए
नहीं चाहिएं सोचने समझने वाले
राजा बनते हैं हमेशा ही
मनमानी करने वाले ।

सब को हक है
राजनीती करने का लोकतंत्र में
भ्रष्टाचार का विरोध कर 
नहीं जीत सकता कोई कभी चुनाव
अपराध जगत है
आम लोगों के लिए सत्ता की एक नाव ।

जिनके बाप दादा नहीं हों नेता अभिनेता 
उनको बिना अपराध कौन टिकट देता
देखो आज आपको
लग रहा जिनसे बहुत डर
कल दिया करोगे उनको
रोज़ खुद जीने के लिए कर
सरकार कैसे मिटा दे
भला सारे अपराध देश से
लोकतंत्र में नेताओं की बढ़ गई है ज़रूरत
नेता बन या तूं भी या फिर जा मर ।

भ्रष्टाचार और अपराध का
राजनीती से है पुराना नाता 
एक है पाने वाला दूसरा है उसका दाता
समझ लो इनके रिश्तों को आप भी आज
बताओ इनमें  कौन है
किसका बाप
और कौन किसकी औलाद ।  
 
People with criminal tendencies in politics and increasing number of  candidates with criminal background stain democracy - राजनीति में अपराधी |  Jansatta

2 टिप्‍पणियां:

Sanjaytanha ने कहा…

Bdhiya kvita tanz se bhrpoor

Sanjaytanha ने कहा…

Rajniti krne ka loktantra mein👌👍