मिलावट ( व्यंग्य - कविता ) डॉ लोक सेतिया
यूं हुआ कुछ लोग अचानक मर गयेमानो भवसागर से सारे तर गये ।
मौत का कारण मिलावट बन गई
नाम ही से तेल के सब डर गये ।
ये मिलावट की इजाज़त किसने दी
काम रिश्वतखोर कैसा कर गये ।
इसका ज़िम्मेदार आखिर कौन था
वो ये इलज़ाम औरों के सर धर गये ।
क्या हुआ ये कब कहां कैसे हुआ
कुछ दिनों अखबार सारे भर गये ।
नाम ही की थी वो सारी धर-पकड़
रस्म अदा छापों की भी कुछ कर गये ।
शक हुआ उनको विदेशी हाथ का
ये मिलावट उग्रवादी कर गये ।
सी बी आई को लगाओ जांच पर
ये व्यवस्था मंत्री जी कर गये ।
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