जांच आयोग ( हास्य व्यंग्य कविता ) डॉ लोक सेतिया
काम नहीं थादाम नहीं था
वक़्त बुरा था आया
ऐसे में देर रात
मंत्री जी का संदेशा आया
घर पर था बुलाया ।
नेता जी ने अपने हाथ से उनको
मधुर मिष्ठान खिलाया
बधाई हो अध्यक्ष
जांच आयोग का तुम्हें बनाया ।
खाने पीने कोठी कार
की छोड़ो चिंता
समझो विदेश भ्रमण का
अब है अवसर आया ।
घोटालों का शोर मचा
विपक्ष ने बड़ा सताया
नैया पार लगानी तुमने
सब ने हमें डुबाया ।
जैसे कहें आंख मूंद
सब तुम करते जाना
रपट बना रखी हमने
बिलकुल न घबराना ।
बस दो बार
जांच का कार्यकाल बढ़ाया
दो साल में रपट देने का
जब वक़्त था आया ।
आयोग ने मंत्री जी को
पाक साफ़ बताया
उसने व्यवस्था को
घोटाले का दोषी पाया ।
लाल कलम से
फाइलें कर कर काली
खोदा पर्वत सारा
और चुहिया मरी निकाली ।
1 टिप्पणी:
👍👍👌👌
हाकिम तक आई नहीं थोड़ी भी तो आंच।
फंसने वाले फंस गए चमचों ने की जांच।।
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