क्यों परेशान हूं ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
मन है उदास क्योंजा रहा हूं मैं किधर
ढूंढ रहा हूं किसको
चाहिए क्या मुझे
कहां है मेरी मंज़िल
कैसी हैं राहें मेरी
प्रश्न ही प्रश्न हर तरफ
आ रहे हैं मुझको नज़र
नहीं कहीं कोई भी जवाब ।
जीवन की सारी खुशियां
कहां मिलेंगी सबको
खिलते हैं फूल ऐसे कहां
जो मुरझाते नहीं फिर कभी
कहां हैं वो सब लोग
जो बांटते हों सिर्फ प्यार
कहीं तो होगा वो आंगन
जिसमें न हो कोई दीवार ।
कहां है दुनिया वो
जिसकी है मुझको तलाश
कोई तो मिलेगा मुझे कभी
और देगा उसका पता मुझे
एक प्रश्न चिन्ह बन गया
जीवन है मेरा
बता दो कोई तो मुझे
क्या है मेरा जवाब ।
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