इश्क़ का हो इज़हार , बहुत मुश्किल है ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
इश्क का हो इज़हार ,बहुत मुश्किल हैदुहरी इस की धार ,बहुत मुश्किल है।
जीत न पाया दिल के खेल में कोई
जीत के भी है हार , बहुत मुश्किल है।
हो न अगर दीदार तो घबराये दिल
होने पर दीदार बहुत मुश्किल है।
इस को खेल न तुम बच्चों का जानो
दुनिया वालो प्यार बहुत मुश्किल है।
इश्क का दुश्मन है ये ज़माना लेकिन
कोई नहीं है यार , बहुत मुश्किल है।
तूने किसी का दिल तोड़ा है बेदर्दी
टुकड़े हुए हैं हज़ार , बहुत मुश्किल है।
प्यार तो अफसाना है एक नज़र का
होता है एक ही बार , बहुत मुश्किल है।
देर से आने की है उनकी आदत
हम हैं इधर बेज़ार , बहुत मुश्किल है।
कहते हैं वो तुम बिन मर जाएंगे
जां देना , सरकार , बहुत मुश्किल है।
1 टिप्पणी:
Waahh wah or waahh
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