भाग्य लिखने वाले ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
विधाता हो तुमलिखते हो
सभी का भाग्य
जानता नहीं कोई
क्या लिख दिया तुमने
किसलिए
किस के भाग्य में।
सब को होगी तमन्ना
अपना भाग्य जानने की
मुझे नहीं जानना
क्या क्यों लिखा तुमने
मेरे नसीब में
लेकिन
कहना है तुमसे यही।
भूल गये लिखना
वही शब्द क्यों
करना था प्रारम्भ जिस से
लिखना नसीबा मेरा।
तुम चाहे जो भी
लिखो किसी के भाग्य में
याद रखना
हमेशा ही एक शब्द लिखना
प्यार मुहब्बत स्नेह प्रेम।
मर्ज़ी है तुम्हारी दे दो चाहे
जीवन की सारी खुशियां
या उम्र भर केवल तड़पना
मगर लिख देना सभी के भाग्य में
अवश्य यही एक शब्द
प्यार प्यार सिर्फ प्यार।
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