बस यही कारोबार करते हैं ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
बस यही कारोबार करते हैंहमसे इतना वो प्यार करते हैं।
कर न पाया जो कोई दुश्मन भी
वो सितम हम पे यार करते हैं।
नज़र आते हैं और भी नादां
वो कुछ इस तरह वार करते हैं।
खुद ही कातिल को हम बुला आये
यही हम बार बार करते हैं।
इस ज़माने में कौन है अपना
बस यूं ही इंतज़ार करते हैं।
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