अक्तूबर 10, 2012

POST : 166 जाँच आयोग ( हास्य व्यंग्य कविता ) डॉ लोक सेतिया

जांच आयोग ( हास्य व्यंग्य कविता ) डॉ लोक सेतिया

काम नहीं था
दाम नहीं था
वक़्त बुरा था आया
ऐसे में देर रात
मंत्री जी का संदेशा आया
घर पर था बुलाया ।

नेता जी ने अपने हाथ से उनको
मधुर मिष्ठान खिलाया
बधाई हो अध्यक्ष
जांच आयोग का तुम्हें बनाया ।

खाने पीने कोठी कार
की छोड़ो चिंता
समझो विदेश भ्रमण का
अब है अवसर आया ।

घोटालों का शोर मचा
विपक्ष ने बड़ा सताया
नैया पार लगानी तुमने
सब ने हमें डुबाया ।

जैसे कहें आंख मूंद
सब तुम करते जाना
रपट बना रखी हमने
बिलकुल न घबराना ।

बस दो बार
जांच का कार्यकाल बढ़ाया
दो साल में रपट देने का
जब वक़्त था आया ।

आयोग ने मंत्री जी को
पाक साफ़ बताया
उसने व्यवस्था को
घोटाले का दोषी पाया ।

लाल कलम से
फाइलें कर कर काली
खोदा पर्वत सारा
और चुहिया मरी निकाली ।        

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

👍👍👌👌

हाकिम तक आई नहीं थोड़ी भी तो आंच।
फंसने वाले फंस गए चमचों ने की जांच।।