सितंबर 16, 2012

POST : 136 जो देश में हो वो होने दो ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

जो देश में हो वो होने दो ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

जो देश में हो वो होने दो
पहरेदारों को    सोने दो ।

कानून उधर काम अपना करे
अपराध इधर कुछ होने दो ।

लोग उनको झुक के सलाम करें
ये नशा भी उनको होने दो ।

तब होगा बचाव का काम शुरू
घर बाढ़ को और डुबोने दो ।

वो कुछ न हकीक़त जान सकें
ख्वाबों में उन्हें तो खोने दो ।

रहने दो न क़त्ल का कोई निशां
उन्हें खून के धब्बे धोने दो ।

क्यों फ़िक्र है इतनी जनता की
जनता    रोती है   , रोने दो ।   
 

 

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