क्या बतायें तुम्हें लोग क्या हो गये ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
क्या बतायें तुम्हें लोग क्या हो गयेआदमी थे वो सब जो खुदा हो गये ।
सब हमारा ये अंजाम देखा किये
हम हमेशा नई इब्तिदा हो गये । ( इब्तिदा = शुरुआत )
क्या हुआ था हमें , हम नहीं जानते
बस उन्हें देख कर हम फ़िदा हो गये ।
जब सुनाने लगे हम कहानी नई
छोड़ महफ़िल सभी अलविदा हो गये ।
हर नज़र आपको देखती रह गई
आप सब को लुभाती अदा हो गये ।
उनकी नज़रों के सब जाम पीते रहे
वो पिलाते रहे , मयकदा हो गये । ( मयकदा =शराबखाना )
जिनको आया नहीं मांगने का हुनर
अनसुनी रह गई इक सदा हो गये । ( सदा =प्रार्थना )
खुद बनाया कभी था हसीं कारवां
छोड़ कर खुद ही "तनहा" जुदा हो गये ।
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