लिखी फिर किसी ने कहानी वही है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
लिखी फिर किसी ने कहानी वही हैमुहब्बत की हर इक निशानी वही है।
सियासत में देखा अजब ये तमाशा
नया राज है और रानी वही है।
हमारे जहां में नहीं कुछ भी बदला
वही चोर , चोरों की नानी वही है।
जुदा हम न होंगे जुदा तुम न होना
हमारे दिलों ने भी ठानी वही है।
कहां छोड़ आये हो तुम ज़िंदगी को
बुला लो उसे ज़िंदगानी वही है।
खुदा से ही मांगो अगर मांगना है
भरे सब की झोली जो दानी वही है।
घटा जम के बरसी , मगर प्यास बाकी
बुझाता नहीं प्यास , पानी वही है।
1 टिप्पणी:
Wahh👌👍
एक टिप्पणी भेजें