सितंबर 21, 2012

ख़त ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

खत ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

फिर मिलें हम दुआ करते थे
जब कभी ख़त लिखा करते थे ।

प्यार करते हमें तुम कितना 
यूं कभी कह दिया करते थे ।

ख्वाब जैसी बना इक दुनिया
खुद वहां रह लिया करते थे ।

रूठ जाना मनाते रहना
और क्या हम किया करते थे ।

दूर से देखते रहते पर
पास हों जब हया करते थे ।

प्यार में रख दिये जो हमने
नाम अच्छे लगा करते थे ।

ख़त हमें रोज़ लिखना "तनहा" 
कौन थे जो ये कहा करते थे । 
 

            

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