खत ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
फिर मिलें हम दुआ करते थेजब कभी ख़त लिखा करते थे ।
प्यार करते हमें तुम कितना
यूं कभी कह दिया करते थे ।
ख्वाब जैसी बना इक दुनिया
खुद वहां रह लिया करते थे ।
रूठ जाना मनाते रहना
और क्या हम किया करते थे ।
दूर से देखते रहते पर
पास हों जब हया करते थे ।
प्यार में रख दिये जो हमने
नाम अच्छे लगा करते थे ।
ख़त हमें रोज़ लिखना "तनहा"
कौन थे जो ये कहा करते थे ।
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