अक्तूबर 22, 2012

बस यही कारोबार करते हैं ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

 बस यही कारोबार करते हैं ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया 

बस यही कारोबार करते हैं
हमसे इतना वो प्यार करते हैं ।

कर न पाया जो कोई दुश्मन भी
वो सितम हम पे यार करते हैं ।

नज़र आते हैं और भी नादां
वो कुछ इस तरह वार करते हैं ।

खुद ही कातिल को हम बुला आये 
यही हम बार बार करते हैं ।

इस ज़माने में कौन है अपना
बस यूं ही इंतज़ार करते हैं ।

 


 
 

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