कोई ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
कोई है धड़कन दिल कीकोई राहों की है धूल।
कोई शाख से टूटा पत्ता
कोई डाली पे खिला फूल।
कोई आंसू मोती जैसा
कोई हो जैसे कि पानी।
कोई आज के दौर की चर्चा
कोई भूली हुई कहानी।
कोई कविता ग़ज़ल हो जैसे
कोई बीते कल का अखबार।
कोई कहीं पर डूबी नैया
कोई माझी संग पतवार।
कोई सूना आंगन मन का
कोई है दिल का अरमान।
कोई अपने घर को भूला
कोई घर घर का महमान।
कोई नहीं कभी बिकता है
कोई बताता अपना दाम।
कोई है आगाज़ किसी का
कोई किसी का है अंजाम।
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