नवंबर 17, 2012

POST : 236 कोई ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

    कोई ( कविता )    डॉ लोक सेतिया

कोई है धड़कन दिल की
कोई राहों की है धूल ।

कोई शाख से टूटा पत्ता
कोई डाली पे खिला फूल ।

कोई आंसू मोती जैसा
कोई हो जैसे कि पानी ।

कोई आज के दौर की चर्चा
कोई भूली हुई कहानी ।

कोई कविता ग़ज़ल हो जैसे
कोई बीते कल का अखबार ।

कोई कहीं पर डूबी नैया
कोई माझी संग पतवार ।

कोई सूना आंगन मन का
कोई है दिल का अरमान ।

कोई अपने घर को भूला
कोई घर घर का महमान ।

कोई नहीं कभी बिकता है
कोई बताता अपना दाम ।

कोई है आगाज़ किसी का
कोई किसी का है अंजाम । 
 

 

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