सुगंध प्यार की ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
सुनी हैं हीर रांझाकैस लैला की
सबने कहानियां
मैंने देखा है
दो प्यार करने वालों को
खुद अपनी नज़रों से
कई बार अपने घर के सामने ।
मज़दूरी करना
है उनका काम
पति पत्नी हैं वो दोनों
रहमान और अनीता
हैं दोनों के नाम ।
पूछो मत
क्या है उनका धर्म
देना मत
उनके प्यार को
ऐसा इल्ज़ाम ।
रहमान को देखा
मज़दूरी करते हुए ऐसे
इबादत हो
काम करना जैसे
नहीं सुनी उनसे
प्यार की बातें कभी
करते हैं जैसे
सब लोग अक्सर कभी ।
देखा है मैंने
प्यार भरी नज़रों से
निहारते
अनीता को
अक्सर रहमान को
सुना है रहमान को
उसका नाम
पल पल पुकारते ।
निभाती है
सुबह से शाम तक
उसका साथ
न हो चाहे
हाथों में उसका हाथ
अपने पल्लू से
पोंछती रहती
उसका पसीना
कितना मधुर सा
लगता है
प्यार भरा एहसास ।
कभी कुछ पिलाना
कभी कुछ खिलाना
कभी लेकर उससे कुदाल
खुद चलाना ।
कभी गीत प्यार वाले
भी गाते नहीं
मुहब्बत है तुमसे
जताते नहीं
नहीं रूठते हैं
मनाते नहीं ।
उम्र भर साथ निभाना है
नहीं कहता
इक दूजे को कोई भी
जानते हैं दोनों
बताते नहीं ।
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