नवंबर 09, 2012

सुगंध प्यार की ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

सुगंध प्यार की ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

सुनी हैं हीर रांझा
कैस लैला की
सबने कहानियां
मैंने देखा है
दो प्यार करने वालों को
खुद अपनी नज़रों से
कई बार अपने घर के सामने ।

मज़दूरी करना
है उनका काम
पति पत्नी हैं वो दोनों
रहमान और अनीता
हैं दोनों के नाम ।

पूछो मत 
क्या है उनका धर्म
देना मत
उनके प्यार को
ऐसा इल्ज़ाम ।

रहमान को देखा
मज़दूरी करते हुए ऐसे
इबादत हो
काम करना जैसे
नहीं सुनी उनसे
प्यार की बातें कभी
करते हैं जैसे
सब लोग अक्सर कभी ।

देखा है मैंने
प्यार भरी नज़रों से
निहारते
अनीता को
अक्सर रहमान को 
सुना है रहमान को
उसका नाम
पल पल पुकारते ।

निभाती है
सुबह से शाम तक
उसका साथ
न हो चाहे
हाथों में उसका हाथ
अपने पल्लू से
पोंछती रहती
उसका पसीना
कितना मधुर सा
लगता है
प्यार भरा एहसास ।

कभी कुछ पिलाना
कभी कुछ खिलाना
कभी लेकर उससे कुदाल
खुद चलाना ।

कभी गीत प्यार वाले
भी गाते नहीं
मुहब्बत है तुमसे
जताते नहीं
नहीं रूठते हैं
मनाते नहीं ।
 
उम्र भर साथ निभाना है
नहीं कहता
इक दूजे को कोई भी
जानते हैं दोनों
बताते नहीं । 
 

 

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