ग़म हमारे कोई भुला जाये ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
ग़म हमारे कोई भुला जायेमुस्कुराना हमें सिखा जाये।
कोई अपना हमें बना जाये
दिल हमारा किसी पे आ जाये।
ज़िंदगी खुद ही एक दिन चल कर
ग़म के मारों से मिलने आ जाये।
मुस्कुराते हैं फूल कांटों में
राज़ इसका कोई बता जाये।
रह के दिन भर मेरे ख्यालों में
रात सपनों में कोई आ जाये।
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