नवंबर 16, 2012

POST : 234 बतायें तुम्हें क्या किया हमने ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

बतायें तुम्हें क्या किया हमने ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

बतायें तुम्हें क्या किया हमने
ज़माने को ठुकरा दिया हमने ।

बुझी प्यास अपनी उम्र भर की
कोई जाम ऐसा पिया हमने ।

तुझे भूल जाने की कोशिश में
तेरा नाम हर पल लिया हमने ।

नहीं दुश्मनों से गिला करते
उन्हें कह दिया शुक्रिया हमने ।

पुरानी ग़ज़ल को संवारा है
बदल कर नया काफिया हमने ।

गुज़ारी है लम्बी उम्र लेकिन
नहीं एक लम्हा जिया हमने ।

रहा अब नहीं दाग़ तक "तनहा"
तेरा ज़ख्म ऐसे सिया हमने । 
 

 

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