ऐसा भी कोई तो हो ( कविता ) डॉ लोक सेतिया
अपना ले जो मुझेमैं जैसा भी हूं ।
हर दिन मुझको
न करवाए एहसास
मेरी कमियों का बार बार ।
सोने चांदी से नहीं
धन दौलत से नहीं
प्यार हो जिसको इंसान से
इंसानियत से ।
जिसको आता ही न हो
मेरी ही तरह
दुनिया का लेन-देन का
कोई कारोबार ।
थाम कर जो
फिर छोड़ जाए न कभी साथ
रिश्ते-नातों को
जो समझे न इक व्योपार
जिसको आता हो बहाना आंसू
हर किसी के दुःख दर्द में ।
नफरत न हो जिसे अश्क बहाने से
जिसमें बाकी हों
मानवता की संवेदनाएं
जन्म जन्म से ढूंढ रहा हूं
उसी को मैं ।
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