दिसंबर 05, 2012

ख्यालों में रह रह के आये जाये कोई ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

 ख्यालों में रह रह के आये जाये कोई ( नज़्म ) डॉ  लोक सेतिया 

ख्यालों में रह रह के आये जाये कोई
तसव्वुर में आ आ के मुस्काये कोई ।

सराहूं मैं किस्मत को ,जो पास मेरे
कभी खुद से घबरा के आ जाये कोई ।

वो भूली सी , बिसरी हुई सी कहानी
हमें याद आये , जो दोहराये कोई ।

ठहर जाए जैसे समां खुशनुमां सा
मेरे पास आ कर ठहर जाये कोई ।

किसी गुलसितां में खिलें फूल जैसे
खबर हमको ऐसी सुना जाये कोई ।
  
 

 

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