दिसंबर 05, 2012

मत ये पूछो कि क्या हो गया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

 मत ये पूछो कि क्या हो गया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

मत ये पूछो कि क्या हो गया
बोलना सच ,  खता हो गया।

जो कहा भाई को भाई तो 
मुझ से बेज़ार-सा हो गया। 
 
आदमी बन सका तो नहीं
कह रहा मैं खुदा हो गया।

अब तो मंदिर ही भगवान से 
क़द में कितना बड़ा हो गया।

उस से डरता है भगवान भी 
देख लो क्या से क्या हो गया। 
 
घर ख़ुदा का जलाकर कोई 
आज बंदा ख़ुदा हो गया।
 
भीख लेने लगे लगे आजकल 
इन अमीरों को क्या हो गया।

नाज़ जिसकी  वफाओं पे था
क्यों वही बेवफा हो गया।

दर-ब-दर को दुआ कौन दे
काबिले बद-दुआ हो गया।

राज़ की बात इतनी सी है 
सिलसिला हादिसा हो गया। 

कुछ न "तनहा" उन्हें कह सका
खुद गुनाहगार-सा हो गया।  
 

 आप मेरी रचनाओं को मेरे यूट्यूब चैनल " अंदाज़-ए -ग़ज़ल " पर भी देख और सुन कर लुत्फ़ उठा सकते हैं। 


 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

इन अमीरों को क्या हो गया...लाजवाब ग़ज़ल