ख्यालों में रह रह के आये जाये कोई ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
ख्यालों में रह रह के आये जाये कोईतसव्वुर में आ आ के मुस्काये कोई।
सराहूं मैं किस्मत को ,जो पास मेरे
कभी खुद से घबरा के आ जाये कोई।
वो भूली सी , बिसरी हुई सी कहानी
हमें याद आये , जो दोहराये कोई।
ठहर जाए जैसे समां खुशनुमां सा
मेरे पास आ कर ठहर जाये कोई।
किसी गुलसितां में खिलें फूल जैसे
खबर हमको ऐसी सुना जाये कोई।
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