दिसंबर 06, 2012

सिलसिला हादिसा हो गया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

  सिलसिला हादिसा हो गया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

सिलसिला हादिसा हो गया
झूठ सच से बड़ा हो गया ।

कश्तियां डूबने लग गई
नाखुदाओ ये क्या हो गया ।

सच था पूछा , बताया उसे
किसलिये फिर खफ़ा हो गया ।

साथ रहने की खा कर कसम
यार फिर से जुदा हो गया ।

राज़ खुलने लगे जब कई
ज़ख्म फिर इक नया हो गया ।

हाल अपना   , बतायें किसे
जो हुआ , बस हुआ , हो गया ।

देख हैरान "तनहा" हुआ
एक पत्थर खुदा हो गया ।
 

 

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